जिनर डायोड एक प्रकार का डायोड ही है यह दीखने मे मे एसा लगता है जैसे यह सिसे का बना हो। यह लाल रंग का होता है इसमे भी दो पार्ट होते है एनोड एव कैथोड।इसका प्रयोग बहुत से स्थानो पर कीया जाता है इसका प्रयाेग लगभग सभी सभी सर्किटो मे कीया जाता है इसको अलग अलग कामो के लिये भी प्रयोग कीया जाता है।इसका प्रयोग मुख्य रुप से वोल्टेज रेगुलेटर (voltege regulater)के रुप मे कीया जाता है।यह बोल्टेज को रेगुलेट करता है ।
जितने वोल्ट का जिनर डायोड अगर सर्कीट मे उससे अधिक वोल्टेज आ जाता है तो यह उस वोल्टेज को रेगुलेट करता है ।अगर जिनर डायोड के वोल्टेज से बहुत ज्यादा वोल्टेज सर्कीट मे प्रवेश करता है तो जिनर डायोड उस वोल्टेज को रेगुलेट नही कर पायेगा और यह सार्ट होकर सर्कीट को प्रोटेक्सन प्रदान करता है।जिससे आगे के काम्पोनेन्ट खराब नही होते है ।यह वोल्टेज को फीक्स करने का काम करता है मतलब जितने वोल्टेज काजिनर डायोड एक प्रकार का डायोड ही है यह दीखने मे मे एसा लगता है जैसे यह सिसे का बना हो। यह लाल रंग का होता है इसमे भी दो पार्ट होते है एनोड एव कैथोड।इसका प्रयोग बहुत से स्थानो पर कीया जाता है इसका प्रयाेग लगभग सभी सभी सर्किटो मे कीया जाता है इसको अलग अलग कामो के लिये भी प्रयोग कीया जाता है।इसका प्रयोग मुख्य रुप से वोल्टेज रेगुलेटर (voltege regulater)के रुप मे कीया जाता है।यह बोल्टेज को रेगुलेट करता है ।
जितने वोल्ट का जिनर डायोड अगर सर्कीट मे उससे अधिक वोल्टेज आ जाता है तो यह उस वोल्टेज को रेगुलेट करता है ।अगर जिनर डायोड के वोल्टेज से बहुत ज्यादा वोल्टेज सर्कीट मे प्रवेश करता है तो जिनर डायोड उस वोल्टेज को रेगुलेट नही कर पायेगा और यह सार्ट होकर सर्कीट को प्रोटेक्सन प्रदान करता है।जिससे आगे के काम्पोनेन्ट खराब नही होते है ।यह वोल्टेज को रेगुलेट करने का कार्य करता है।
No comments:
Post a Comment